tag:blogger.com,1999:blog-7293387916896003882024-03-08T12:05:54.223-05:00AshaarChand sher, chand alfaaz jo dil ko choo jayein...kuch gudgudaa jaayein....Vikashhttp://www.blogger.com/profile/10609201064031570905noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-729338791689600388.post-6244930113917540022012-02-24T14:15:00.002-05:002012-02-24T14:38:51.662-05:00बड़ा आदमी बड़ा अजीब<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बड़ा आदमी बड़ा अजीब<br />
<br />
<br />
<br />
भारतवर्ष मूल्यतः दो प्रकार के मानव समुदाय से गठित है : <b>आम आदमी</b> और <b>बड़ा आदमी </b>.<br />
<br />
सांझ सवेरे राह चलते जो सहज दृष्टिगोचर हैं वो है आम आदमी. आज चलिए एक आम आदमी के दृष्टिकोण से व्याख्या की जाए बड़े आदमी की
ओर देखा जाए कि आखिर मानव रूपि यह प्रजाति एक होते हुए भी इतनी भिन्न क्यूँ है ?<br />
<br />
<br />
ग्रीष्म काल में जहाँ पसीने से लथपथ आम आदमी घर
पहुँच कर खिड़की दरवाजे खोल हवा का आनंद लेता पाया जाता है
वहीँ बड़ा आदमी खिड़की दरवाजे बंद कर बंद कमरे में रहना पसंद
करता है . क्या उसे गर्मी नहीं लगती ? या कि हवा का झोंका उसे
पसंद नहीं ? क्या अजीब बात है !!<br />
<br />
<br />
पायी पायी का हिसाब रखते जहाँ आपका हमारा जीवन
व्यतीत हो जाता है वहीँ बड़ा आदमी लौटाए हुए चिल्ल्ड छोड़ कर
होटल से निकल आता है . क्या उसे हिसाब करना नहीं आता या कि उसकी
बगली में उन चिल्लादों क लिए जगह नहीं ? अरे अगर जगह नहीं है तो
बड़ी बगली वाली शर्ट पहननी चाहिए थी न . यूं कोई पैसे दूओस्रों
क लिए चोदता है भला ? आप ही बताइए क्या अजीब बात है यह .<br />
<br />
नेताओं
का भाषण हो या चोरी कि खबर . आम आदमी कितनी शिद्दत से उसे
सुनता है और उसपर गौर करता है . नेतागण क वादों क झूठे हनी
का आभास उसे रहता है लेकिन फिर भी वो उसपर विचार करता है और
उम्मीद बांधता है कि शायद इस बार उसके साथ धोखा नहीं होगा . लेकिन
बड़ा आदमी , इनकी बात ही अलग है . यह सुबह का अखबार उठाते हैं
विनम्रतापूर्वक छापी खबर को पढ़ कर , देश और उसकी अवस्था पर एक
भीनी सी मुस्कान डालते हैं और अपनी दिनचर्या में लग जाते हैं .
है न अजीब बात यह .<br />
<br />
आम आदमी का जब बेटा जवान
होता
है तो उसके मुह से निकलता है कि अब मेरा बेटा मेरा यह काम
करवा
देगा , मेरी ज़िन्दगी संवार देगा . बिटिया कि शादी हो जाएगी और
घर कि छत्त चूनी बंद हो जाएगी . उसको एक उम्मीद होती है , एक
ललक होती है .
लेकिन बड़े आदमी का जब बेटा जवान होता है तो उसका कथन होता
है कि "
मैंने इतना कुछ कर रखा है कि इसको कुछ करने कि जरूरत ही नहीं
".
अरे क्यूँ भाई आपको अपनी सुपुत्र के नालायाकता पर इतना भरोसा है क्या ?
ऐसी अजीब सोच
क्यूँ ?<br />
<br />
"बाप का पैसा है न " और "पिताजी से कैसे
मांगूं" का यह द्वंद्व हमारा देश रोज़ झेलता है .<br />
<br />
आपके समक्ष भी
अगर इस द्वंद्व का कोई रूप आया हो तो जरूर बताएं !!<br />
<br />
आप सभी का,<br />
<br />
विकाश </div>Vikashhttp://www.blogger.com/profile/10609201064031570905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-729338791689600388.post-22860333080043997672011-12-31T04:03:00.001-05:002012-02-08T02:32:06.475-05:00Google+ pe Ashaar<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<br />
<br />
<br /></div>
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</div><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;">हर्ष और उल्लास से भरी यह पंक्ति हमें ज्ञात कराती है उस विकट परिस्थिति का जब शातिर से शातिर इंसान शिकस्त का शिकार होता है और उससे कम ज्ञान रखने वाला विजयी घोषित होता है. आइये जरा देखा जाए की इस परिश्थिति के पीछे राज़ क्या है..<br />
<br />
</div></div><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;">पंडित जी की शिकस्त का आखिर क्या कारण है ? कहीं वो अपनी लुढ़कती कमाई , बेटे की पढाई और पंदिताईं की पिटाई का शिकार तो नहीं. या की उनके पंडिताई में कुछ कमी आ गयी है. भगवान् ने उनकी भी सुननी तो नहीं बंद कर दी . हम ग़रीबों की तो वो पहले भी कम ही सुनता था , कहीं आज पंडित जी का भी भगवान् क दर से आरक्षण तो नहीं हट गया . या फिर वहां भी पंडिताई पे कम और आरक्षण पे ज्यादा ध्यान तो नहीं दिया जा रहा ? भगवान् ने भी भेद भाव तो नहीं शुरू कर दिए कहीं . अगर ऐसा है तो भाई पंडितजी अब हम यह भी नहीं कह सकते कि " आपको तो भगवान् ही बचाए ". और भगवान् क लिए भी हम यह नहीं कह सकते कि " उनका भगवान् ही मालिक है ". मुझे तो यह प्रतीत होता है कि मालिकाने में ही कुछ त्रुटि है . संसार में झमेले ही इसी वजह से हैं क्यूँ कि मालिक में दोश है . अब आप अपने देश को ही ले लीजिये अगर हमारे नेतागण सही होते तो हम भारतीयों को विश्व विजयी हनी से कौन रोक सकता . लेकिन उस बात पे हम फिर कभी नज़र डालेंगे .<br />
<br />
</div><div style="text-align: left;"></div><div style="text-align: left;">अब जरा छुछुंदर भाई साहब की बात की जाए . कैसा लग रहा होगा उनको चमेली का तेल लगा क ? क्या वो यह जानते हैं कि यह तेल उनके सर पर ज्यादा दिन नहीं टिकने वाला ? उनकी छुछुन्दरई कभी न कभी उनको ले डूबेगी . वो आज विजयी जरूर हुए हैं लेकिन उनकी यह विजय उनको उनके हार क और निकट ले जा रही है इस बात का ध्यान है क्या उनको ? और नाली निवासी छुछुंदर आखिर चमेली का तेल लगा क अपने जीवन में कौन सा एसा परिवर्तन पाता है ? उसका संसार वही का वही रह जाता है ? वही नालियाँ वही गन्दगी और वही छुछुन्दरपन. उस जीत का आखिर क्या फायेदा जो आपके जीवन में कोई महत्व नहीं रखती हो ?<br />
<br />
<br />
</div><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;">जीतो तो अपने सचिन तेंदुलकर जैसा , कि उस जीत के पहले सारी दुनिया जानती हो कि वो आपकी है . और कहीं न कहीं उस जीत को भी यह पता होगा कि वो किसके नाम होना चाहती है और किसके पास जा कर उसका जीवन परिपूर्ण होगा . तो छुछुंदर भाई साहब आपसे यह सविनय निवेदन है कि आप जब भी एसी जीत जीतें तो उसे स्वीकार ना करें . जरा सोचें कि कहीं आप उस जीत को पा कर कहीं उसके महत्व में कमी तो नहीं ला रहे ? या उसके सम्मान को कम तो नहीं कर रहे?</div></div></div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;">जिस दिन हर छुछुंदर कुछ सोचने लगा सबकी ज़िन्दगी में नया रंग होगा .. जीतने का नया उमंग होगा और शायद हम सबमे एक दूसरे को समझने का एक नया ढंग होगा ...</div></div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;">सदा आपका ,</div><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;">विकाश </div></div><div style="text-align: left;"><br />
</div></div></div></div>Vikashhttp://www.blogger.com/profile/10609201064031570905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-729338791689600388.post-91982946904865987722011-03-15T15:17:00.005-04:002011-12-04T01:29:17.326-05:00दास मलूका कह गए सबके दाता राम !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
अजगर करे ना चाकरी पंछी करे न काम, दास मलूका कह गए सबके दाता राम !</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
चलिए जरा इस जगत-प्रसिद्द लोक उक्ति की व्याख्या की जाए. सोचा जाए कि आखिर अजगर चाकरी क्यूँ नहीं करता, पंछी काम क्यूँ नहीं करते और आखिर राम इतना देने क लिए धन लाये कहाँ से.<br />
<br />
अजगर का चाकरी नहीं करना कहीं उसके अकर्मठ होने का परिचायक तो नहीं, या कि अज्गारनी ने शादी के वख्त बहुत सारा दहेज़ तो नहीं देदिया अजगर को. इतना धन कि उसे कुछ करने कि जरूरत ही न पडे और वो आराम से टांग पे टांग चढ़ा कर बैठा रहे. आखिर क्यूँ नहीं करता वो चाकरी. अगर सही में एसा है तो ऐसा प्रावधान हम सबके लिए होना चाहिए. ताकि हम नौकरी के लिए लम्बी कतारों में न लगें. कॉलेज कि डिग्री लेकर दर दर न भटकें, और हमारे पिताश्री को सिफारिश के लिए किसी के आगे मूह न खोलना पडे. </div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
पंछी ने काम नहीं करना कहीं हमारे नेताओं से तो नहीं सीख लिया. कहीं वो आरक्षण द्वारा पंछियों क दल में तो नहीं शामिल हुआ. पंछी के इस काम नहीं करने को उसकी बीवी कैसे देखती है? उसे क्या बुरा नहीं लगता कि सबके शौहर काम करते हैं और उसका घर पर बैठा रहता है. और ऐसा काम नहीं करने वाला पंची अपने बच्चों के समक्ष जीवन जीने कि यह कैसी शैली रखता है. </div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
रहा सवाल राम जी के देने का, तो क्या उनको इस चल रहे व्यावसायिक उथल पुथल से कोई प्रभाव नही पडा. उनके पास अगर सही में इतना धन है तो दुनिया में हाहाकार क्यूँ है? क्यूँ सारे परेशान है? सबसे बड़ी बात तो यह कि उनको इतना धन मिला कहाँ से. क्या उनके भी स्विस बैंक में खाते हैं. प्रभु अगर मलूका जी कि यह उक्ति सच है तो मेरा आपसे सविनय अभिवेदन है कि आप यूं अपना धन न लुटाएं धन अगर बांटना है तो उन किसानों में बांटें जो दिन रात खून पसीना बहाकर अनाज उगा तो लेते है लेकिन अपने ही बच्चों के आगे खाने लिए दो वक़्त की रोटी नहीं रख पाते. आपको आपकी प्रभुता अगर बनायी रखनी है तो अपने इस देन लेन कि प्रक्रीया में जरा कुछ बदलाव कीजिए प्रभु. </div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
बहर हाल दास मलूका जी का यह कथन जहाँ एक ओर प्रश्नचिन्ह उठाता है प्रभु कि प्रभुता पर, वहीँ दूसरी दृष्टि फेरी जाए तो हमें उनमे विश्वास रखने को भी प्रेरित करता है. मैं यह आप पर चोदता हूँ कि पानी का गिलास आधा भरा है या आधा खाली ...</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
इस विषय पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है ... अगर आप समझते हैं कि इस पर आगे लिखना उचित होगा तो अवश्य बताएं ..</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
<div style="text-align: left;">
<br />
विकाश </div>
</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
</div>Vikashhttp://www.blogger.com/profile/10609201064031570905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-729338791689600388.post-36463747657086762082011-03-05T13:14:00.000-05:002011-03-05T13:24:16.446-05:00मंदिर में कब जाएँ ......<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;"><b>मंदिर में कब जाएँ ......</b></div></div><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;">इस सवाल का जवाब हर किसी के पास होगा...सबके बडे बुजुर्गों नें किसी न किसी वक़्त यह जरूर समझाया होगा कि मंदिर में कब जाना चाहिए ....लेकिन मेरा यह दृढ़ह विश्वास है कि जो कारण मैं बताने जा रहा हूँ इन कारणों क बारे में आपने कभी सोचा नहीं होगा..</div></div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"><b>कारण १:</b> जब मंदिर क बहार पड़ी संदल कि ब्रांड मेहेंगी हो... यह परीचायक है कि जो मोहतरमा अन्दर हैं वो काफी बडे घर कि हैं...पैसे रूपए से परीपूर्ण हैं लेकिन किसी कि तलाश में हैं...उनके जीवन में किसी कि कमी है ....मोहतरमा के आयू का पता आपको उनकी संदल कि हील कि ऊँचाई से चल जायेगा... अतः एक बार जब आपको भरोसा हो जाए जी आप ही उनके लिए बने हैं..आप मंदिर में जा सकते हैं..... किस्मत कि आजमाइश भी हो जाएगी और भगवान् के दर्शन भी हो जायेंगे...</div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"><b>कारण २ :</b> जब आपको पता हो की मंदिर में भोजन का आयोजन है... इसके दो फायेदे हैं ...सबसे पहले तो फ़ोकट का खाना...जो हमेशा ही स्वादिष्ट होता है ... और दूसरा फायेदा है कि यह आपको मौक़ा प्रदान करेगा सामाजिक हनी का...नयनों से नयन मिलने का... और ढून्ध्नेका अपने स्वप्नों वाली उस ख़ास पहेली को ... ध्यान यह रहे कि आप मंदिर में होंगे..अतःह कोई भी बुरा ख्याल न रखें दिलओदिमाग में..... मंदिर में भोज खिलाना और उसमें सहायता प्रदान करना एक इसी समाज सेवा है जिसमे आप समाज से ज्यादा अपनी भलाई कर सकते हैं.... </div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"><b>कारण ३ :</b> जब आपके जूते पुराने हो चलें हों... आपने शायद यह उक्ति सुनी होगी कि ..." भगवान् से भी स्थान बड़ा है जूते का...पूजा करें मंदिर में और ध्यान लगायें जूते का..."...अब बस इस महंगी में इससए बड़ा कारण क्या हो सकता है मंदिर जाने का .... अपनी उतारिये नाप लीजिये ...पेहेनियी और चलिए....</div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"><br />
तो यह थे तीन ज्वालान्त्त कारण मंदिर जाने के.... मैं इस श्रृंखला में और भी कारण प्रस्तुत करने कि पूरी कोशिश करूंगा .... अगर आपके पास भी कोई कारण है जिनसे हम नयी पीढी को मंदिर ले जा सकें तो मुझे जरूर बताएं.... प्यार करें..प्यार बांटें और प्यार फैलाएं......</div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;">फिर मिलते हैं...</div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;">विकाश </div><div style="text-align: left;"></div><div style="text-align: left;"></div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"><br />
</div></div>Vikashhttp://www.blogger.com/profile/10609201064031570905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-729338791689600388.post-87716962073918807382011-01-19T12:33:00.000-05:002011-01-19T12:39:09.477-05:00हमें तो मतलब सिर्फ प्रसाद से हैमंजिल क्या है किसे खबर, हमारा तो सफ़र ही उनके साथ से है <br />
पूजा देवता की हो या देवी की हमें तो मतलब सिर्फ प्रसाद से हैVikashhttp://www.blogger.com/profile/10609201064031570905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-729338791689600388.post-72079546525529396132010-12-23T14:29:00.000-05:002010-12-23T15:19:50.420-05:00चलो थोडा सा मर के देखते हैं<h6 class="uiStreamMessage" data-ft="{"type":"msg"}" style="font-weight: normal;"><span style="font-size: small;"><span class="messageBody">सुना है इश्क की university से pass करना मुश्किल है , </span></span></h6><h6 class="uiStreamMessage" data-ft="{"type":"msg"}" style="font-weight: normal;"><span style="font-size: small;"><span class="messageBody">चलो दोस्तों कम से कम form भर क देखते हैं</span> </span></h6><h6 class="uiStreamMessage" data-ft="{"type":"msg"}" style="font-weight: normal;"><span style="font-size: small;">लिस्ट में नाम आये न आये,</span></h6><h6 class="uiStreamMessage" data-ft="{"type":"msg"}" style="font-weight: normal;"><span style="font-size: small;">चलो खुदा से दुआ मांग के देखते हैं </span></h6><span style="font-size: small;">सुना है आशिक मर कर मशहूर हुए दुनिया में ,</span><br />
<span style="font-size: small;">चलो थोडा सा मर के देखते हैं </span>Vikashhttp://www.blogger.com/profile/10609201064031570905noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-729338791689600388.post-55195202809752169022010-12-18T13:11:00.000-05:002010-12-18T23:09:05.408-05:00अब तेरा क्या होगा कालिया ?<span style="font-size: small;">हिंदी चलचित्र जगत का सबसे मशहूर संलाप है : अब तेरा क्या होगा कालिया ?</span><br />
<span style="font-size: small;"><br />
</span><br />
<span style="font-size: small;">कभी किसी ने यह सोचा है की कालिया का नाम कालिया ही क्यूँ पड़ा? क्या उसके पैदा होते इतनी कालिमा छा गयी थी की उसका नाम कालिया रखा गया? या उसके प्रजनन क समय जब उसकी माँ अस्पताल गयी तो वहां बिजली नही हनी क कारन उसे अंधेरे में ही पैदा होना पड़ा? या कि उसका श्यामल वर्ण इतना ही खराब दिखता था कि उसके नाम में भी उसकी परछायी पद्द गयी? उसका ऐसा नाम रखने वाले ने क्या कभी यह समझने कि कोशिश की कि इस नाम से उसके जीवन में कितनी कठिनायी आ सकती है? उसे कितने अनापेक्षित कठिनाईयों से गुज़ारना पद्द सकता है ? उसके अपने सरदार के आँखों में उसकी इजात कितनी कम हो सकती है और यह नाम उसके जीवन की प्रगति में बाधा बन्न सकता है.</span><br />
<span style="font-size: small;"> मुझे प्रतीत होता है कि उसके इसी नाम के कारन उसके साथ गब्बर नें इतना दुर्रव्यवहार किया और उसकी मौत भी एक मजाक बन गयी. आप क्या सोचते हो ?</span>Vikashhttp://www.blogger.com/profile/10609201064031570905noreply@blogger.com0