मूर्ख हो गए पास पंडित हो गए फेल , छुछुंदर के सर मं लगा चमेली का तेल
हर्ष और उल्लास से भरी यह पंक्ति हमें ज्ञात कराती है उस विकट परिस्थिति का जब शातिर से शातिर इंसान शिकस्त का शिकार होता है और उससे कम ज्ञान रखने वाला विजयी घोषित होता है. आइये जरा देखा जाए की इस परिश्थिति के पीछे राज़ क्या है..
पंडित जी की शिकस्त का आखिर क्या कारण है ? कहीं वो अपनी लुढ़कती कमाई , बेटे की पढाई और पंदिताईं की पिटाई का शिकार तो नहीं. या की उनके पंडिताई में कुछ कमी आ गयी है. भगवान् ने उनकी भी सुननी तो नहीं बंद कर दी . हम ग़रीबों की तो वो पहले भी कम ही सुनता था , कहीं आज पंडित जी का भी भगवान् क दर से आरक्षण तो नहीं हट गया . या फिर वहां भी पंडिताई पे कम और आरक्षण पे ज्यादा ध्यान तो नहीं दिया जा रहा ? भगवान् ने भी भेद भाव तो नहीं शुरू कर दिए कहीं . अगर ऐसा है तो भाई पंडितजी अब हम यह भी नहीं कह सकते कि " आपको तो भगवान् ही बचाए ". और भगवान् क लिए भी हम यह नहीं कह सकते कि " उनका भगवान् ही मालिक है ". मुझे तो यह प्रतीत होता है कि मालिकाने में ही कुछ त्रुटि है . संसार में झमेले ही इसी वजह से हैं क्यूँ कि मालिक में दोश है . अब आप अपने देश को ही ले लीजिये अगर हमारे नेतागण सही होते तो हम भारतीयों को विश्व विजयी हनी से कौन रोक सकता . लेकिन उस बात पे हम फिर कभी नज़र डालेंगे .
अब जरा छुछुंदर भाई साहब की बात की जाए . कैसा लग रहा होगा उनको चमेली का तेल लगा क ? क्या वो यह जानते हैं कि यह तेल उनके सर पर ज्यादा दिन नहीं टिकने वाला ? उनकी छुछुन्दरई कभी न कभी उनको ले डूबेगी . वो आज विजयी जरूर हुए हैं लेकिन उनकी यह विजय उनको उनके हार क और निकट ले जा रही है इस बात का ध्यान है क्या उनको ? और नाली निवासी छुछुंदर आखिर चमेली का तेल लगा क अपने जीवन में कौन सा एसा परिवर्तन पाता है ? उसका संसार वही का वही रह जाता है ? वही नालियाँ वही गन्दगी और वही छुछुन्दरपन. उस जीत का आखिर क्या फायेदा जो आपके जीवन में कोई महत्व नहीं रखती हो ?
जीतो तो अपने सचिन तेंदुलकर जैसा , कि उस जीत के पहले सारी दुनिया जानती हो कि वो आपकी है . और कहीं न कहीं उस जीत को भी यह पता होगा कि वो किसके नाम होना चाहती है और किसके पास जा कर उसका जीवन परिपूर्ण होगा . तो छुछुंदर भाई साहब आपसे यह सविनय निवेदन है कि आप जब भी एसी जीत जीतें तो उसे स्वीकार ना करें . जरा सोचें कि कहीं आप उस जीत को पा कर कहीं उसके महत्व में कमी तो नहीं ला रहे ? या उसके सम्मान को कम तो नहीं कर रहे?
जिस दिन हर छुछुंदर कुछ सोचने लगा सबकी ज़िन्दगी में नया रंग होगा .. जीतने का नया उमंग होगा और शायद हम सबमे एक दूसरे को समझने का एक नया ढंग होगा ...
सदा आपका ,
विकाश